यह वक्त नही है रोने का, यह वक्त है निर्णय लेने का।

यह वक्त नही है रोने का, यह वक्त है निर्णय लेने का।

Friday, March 22, 2013

भारत माँ का संताप




प्रसव वेदना से पीड़ित हो, जो नारी चिल्लाती है।
उससे अधिक वेदना वो, केवल उस क्षण ही पाती है।।

जब उसके बच्चे को कोई, क्षणिक कष्ट भी होता है।
माता का अंचल जलता है, नयन बरसता रहता है।।
माता का अंचल जलता है, नयन बरसता रहता है।।

इस वेदना की पराकाष्ठा, फ़िर कौन बतलायेगा।
जब इसके दो-दो बच्चों में, कोई झगड़ा करवाएगा।।
जब इसके दो-दो बच्चों में, कोई झगड़ा करवाएगा।।


बच्चे तो बच्चे ही हैं, कुछ भोले कच्चे ही हैं।
मुगलों ने बहकाया था, अंग्रेजों ने लड़वाया था।।
फ़िर बाँटो और राज करो की, गाड़ी खूब चलाया था।।


ड्राइवर बदल बदल कर देखो, गाड़ी वही चलाते हैं।
कहीं देश के नाम पे बाँटे, कहीं जाति को गाते हैं।।
कहीं जाति के नाम पे बाँटे, कहीं देश को गाते हैं।।

ज्ञान चक्षु यदि खुल गये हों तो, 'नलिनसुत' की बात सुनो।
भारत माँ के सब बेटे मिल, माता के संताप हरो।।
भारत माँ के सब बेटे मिल, माता के संताप हरो।।