यह वक्त नही है रोने का, यह वक्त है निर्णय लेने का।

यह वक्त नही है रोने का, यह वक्त है निर्णय लेने का।

Wednesday, November 12, 2008

मालेगांव जांच प्रकरण: एक जांच या षणयंत्र

मेरे विचार से यह जांच नही अपितु बांटो और राज करो की गंदी राजनीति का दुष्परिणाम है।

खुद को सेक्युलर कहने वाले राजनैतिक दलों ने पिछले प्रांतीय चुनावों में अपने घटते जनधार को देख कर साम्प्रदायिक आतंकवाद की कुटिल कूटिनीति का प्रयोग किया है। महाराष्ट्र में चाचा भतीजे द्वारा फ़ैलायी गयी क्षेत्रीय ध्रुवीकरण की राजनीति से बंटे वोटों को एकत्रित करने का इससे अधिक कुत्सित प्रयास नही हो सकता।

मुम्बई, भारत की आर्थिक राजधानी में 12 मार्च 1993 में मरने वालों की संख्या 257(आधिकारिक) थी। इस सिलसले में आरोपी 129 लोगों में 100 लोगों को न्यायालय ने आरोपी ठहराया। इन 100 लोगों में अधिकांश(जिनमें मुख्य आरोपी टाइगर मेनन एवं दाऊद इब्राहिम भी शमिल हैं। ) आज भी फ़रार हैं। 11 अगस्त 2006 को शरद पवार महारष्ट्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया था कि किस प्रकार उन्होने जनता को 93 के विस्फ़ोटों के बारे में, अपनी सेक्युलर छवि(वोट बैंक) बनाये रखने के लिये गलत जानकारी दी और विस्फ़ोटों के तथ्यों को तोड मरोड कर प्रस्तुत किया।

मालेगांव प्रकरण में 6 लोगों की मृत्यु हुई तो उसके लिये 6 से ज्यादा गिरफ़्तरी की गयी। सथ में बिना न्यायालय के निर्णय के ही आरोपियों को न केवल दोषी ही नही ठहराया गया है अपितु मीडिया के माध्यम से हिंदू आतंकवाद जैसा दुष्प्रचार भी किया गया है।

इस ध्रुवीकरण की राजनीति ने समाज को ही नही, अपितु भारतीय सेना जैसे राष्ट्रीय संगठन को भी हिंदू आतंकवाद की सेना में घुसपैठ जैसे शब्दों से ध्रुवीकृत करने का कुत्सित प्रयास किया गया है।

मैं किसी भी तरह की जांच के विरुद्ध नही हूँ लेकिन भारत की अखंडता और सम्प्रभुता के राजनैतिक स्वार्थ के बलिबेदी पर चढ़ने के सर्वथा विरुद्ध हूँ।

5 comments:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

जाँच का नाटक कर रहे,सोची समझी चाल.
चुनाव आये सामने, राजनीति की चाल.
राजनीति की चाल, वोट का खेल है सारा.
बटा हुआ हिन्दू , फ़िरता है मारा-मारा.
कह साधक कवि, इसका उत्तर एक है भैय्या.
वोट-तन्त्र से बाहर निकलो , जल्दी भैय्या.

Anonymous said...

church ke niyantran wale shakti sampann rashtra hi saare fasad ki jad hai. bharat abhi tak swatantra nahi huwa hai. ek aur kranti ki awashyakta hai. aaiye ham apana balidaan dene ke liye taiyaar ho. sirf baatoon se kaam nahi chalega.

Anil said...

shikhar ji bhai saahab,, chha gaye ho.... ab to blogging guru :)

Abhishek Ojha said...

ye padho:

http://www.visfot.com/bat_karamat/495.html

दिवाकर प्रताप सिंह said...

जब स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था कि कितने भी अच्छे विदेशी राज से स्वराज हमेशा बेहतर है, तो उन्होंने यह कल्पना नहीं की होगी कि हमारे राजनेताओं के समान निकृष्ट व्यक्ति सत्ता में होंगे !